बचपन से ही देखते आ रहे हैं कि घर के बड़े बुज़ुर्ग जाड़ों में खाने के बाद थोड़ा गुड़ ज़रूर खाते हैं। वे गुड़ को रोटी से भी खाते थे, चावल के साथ भी कहते थे और ख़ाली गुड़ भी खाते थे। हम बच्चों को गुड़ की टेढ़ी मेढ़ी शक्ल और ब्राउन रंग कभी अच्छा नहीं लगता था। लेकिन आज समझ आता है कि गुड़ कितने फ़ायदे की चीज़ है, अगर बिना केमिकल्स वाला गुड़ मिले तो:
- गुड़ से शरीर में गर्मी आती है।
- जो वातावरण के केमिकल्स हमारे अंदर चले जाते हैं, वो गुड़ निकाल देता है।
- गुड़ में बहुत मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
- गुड़ से कब्ज़ कम होता है।
- गुड़ जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।
- गुड़ में आयरन बहुत मात्रा में होता है।
- गुड़ और तिल सांस की समस्याओं में भी फ़ायदा करते हैं।
लेकिन, समस्या वही है कि कैसे सबके मनपसंद चीज़ें बनाएं कि सब ख़ुशी ख़ुशी गुड़ का सेवन करें। तो अब मैं आपको कुछ गुड़ की मिठाइयां बनाना बताती हूँ।
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गुड़ वाले मखाने
गुड़ और मखाने दोनों ही स्वास्थ्यवर्धक चीज़ें हैं। मखाने में कैल्शियम बहुत मात्रा में पाया जाता है जो कि हड्डियों के लिए ज़रूरी होता है। गुड़ के बारे में तो हम सब जानते ही हैं। तो कहने का मतलब ये है कि गुड़ वाले मखाने बहुत ही पौष्टिक होते हैं और बहुत ही आसानी से बन भी जाते हैं। ये मखाने आप व्रत में भी खा सकते हैं।
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गुड़ की रोटी
ये रेसिपी बनाना बहुत ही आसान है और घर के बड़ों को तो ये रसिपे बहुत ही पसंद आएगी क्यूंकि वो ये ही खाते हुए बड़े हुए हैं।
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गढ़वाली रोटाना
गढ़वाली रोटाना गढ़वाल की एक पारम्परिक मिठाई है जो हर त्यौहार और शादियों में बनाई जाती है। मोटा मोटा देखा जाये तो ये आटे और गुड़ से बनी एक मिठाई है। मज़ेदार बात ये है कि उत्तर प्रदेश में लगभग ऐसे ही गुलगुले या पूड़े बनते हैं। बिहार में ठेकुआ भी काफी कुछ ऐसा ही होता है। कश्मीर में रॉथ भी लगभग ऐसे ही बनता है। और सब जगह ये मिठाइयां पारम्परिक हैं और पूजा में प्रयोग होती हैं। इसका सीधा सीधा कारण ये है कि पहले ज़माने में जब पूजा के अनुष्ठान बने थे, तब न फ्रिज होता था न ज़्यादा खाने का सामन। उस समय सब कुछ घर पर घर में पायी जाने वाली चीज़ों से ही बनता था और ऐसे बनता था जो बहुत समय तक टिक जाये क्यूंकि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पैदल जाने में बहुत समय लगता था। तो उस समय ये मिठाई सीधी सादी चीज़ों से बन जाती थी और बहुत समय तक टिकती थी। इसीलिए हर प्रदेश में इसके किसी रूप का प्रयोग होता है हांलांकि उसके नाम अलग अलग हैं।
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गुड़ और तिल के लडडू
ये लडडू बनाना तो बहुत ही आसान है और ये घर में सबको पसंद आते हैं । इनका स्वाद काफ़ी कुछ गज़क की तरह होता है।
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गुड़ की चिक्की
गुड़ की चिक्की किसे पसंद नहीं होती। हाँ इसे बनाना थोड़ा मुश्किल होता है क्यूंकि गुड़ बिल्कुल ठीक गरम होना चाहिए पर एक बार समझ आ जाये तो बहुत आसान है।
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गुड़ की नरम चिक्की
कभी कभी घर के बुज़ुर्गों को कड़ी चिक्की खाने में परेशानी होती है। अगर ऐसा है तो आप ये नरम चिक्की बनाएं। इसे बनाना भी आसान है।
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चौलाई के लडडू
चौलाई के लडडू तो जाड़ों के लिए बहुत ही अच्छे होते हैं। एक तो गुड़ ऊपर से चौलाई जैसे सोने पे सुहागा। आपको पता है चौलाई में प्रोटीन कितना अधिक होता है। इन लडडू के चूरे को तो सुबह दूध में डालकर भी खा सकते हैं।
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गुड़ पोली
गुड़ पोली महाराष्ट्र और साउथ में बहुत बनती है। सबसे अच्छी बात ये है कि आप इसकी भरावन पहले ही बनाकर रख सकते हैं और फिर जब भी मन करे रोटी बनाने के बाद कुछ गुड़ पोली बना लें।