गढ़वाली रोटाना गढ़वाल की एक पारम्परिक मिठाई है जो हर त्यौहार और शादियों में बनाई जाती है। मोटा मोटा देखा जाये तो ये आटे और गुड़ से बनी एक मिठाई है। मज़ेदार बात ये है कि उत्तर प्रदेश में लगभग ऐसे ही गुलगुले या पूड़े बनते हैं। बिहार में ठेकुआ भी काफी कुछ ऐसा ही होता है। कश्मीर में रॉथ भी लगभग ऐसे ही बनता है। और सब जगह ये मिठाइयां पारम्परिक हैं और पूजा में प्रयोग होती हैं। इसका सीधा सीधा कारण ये है कि पहले ज़माने में जब पूजा के अनुष्ठान बने थे, तब न फ्रिज होता था न ज़्यादा खाने का सामन। उस समय सब कुछ घर पर घर में पायी जाने वाली चीज़ों से ही बनता था और ऐसे बनता था जो बहुत समय तक टिक जाये क्यूंकि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पैदल जाने में बहुत समय लगता था। तो उस समय ये मिठाई सीधी सादी चीज़ों से बन जाती थी और बहुत समय तक टिकती थी। इसीलिए हर प्रदेश में इसके किसी रूप का प्रयोग होता है हांलांकि उसके नाम अलग अलग हैं।
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समय | 40 मिनट |
कठिनाई | मध्यम |
कितने लोगों के लिए | 20 रोटाना |
सामग्री
गेहूं का आटा | 1 कप |
चीनी या गुड़ | 1/4 कप |
घी | 1 बड़ी चम्मच |
छोटी इलाइची का पाउडर | 1/2 छोटी चम्मच |
दूध | 2 बड़ी चम्मच |
कसा हुआ सूखा नारियल | 2 बड़ी चम्मच |
चीनी पाउडर | सजाने के लिए |
तेल | तलने के लिए |
विधि
- चीनी या गुड़ को 1/4 कप पानी में डालकर पिघला लें। आंच बंद करके इसे ठंडा कर लें। अगर आप चीनी प्रयोग कर रहे हैं तो चाशनी बनाने की ज़रुरत नहीं है। चीनी को पीस लें और आटे में गूंथते वक़्त डाल दें।
- आटे में घी मिला लें और हाथों से मल लें।
- अब आटा, इलाइची पाउडर, दूध और नारियल मिला कर उसमें धीरे धीरे चाशनी डालें और कड़ा आटा गूंथ लें। इसे दस मिनट तक ढक कर रख दें। आप इलाइची की जगह कुटी सौंफ भी डाल सकते हैं।
- दस मिनट बाद आटा एक बार फ़िर गूंथ लें। अगर ज़्यादा कड़ा लगे तो थोड़ा दूध और मिला लें।
- अब हाथ में थोड़ा तेल लगाकर आटे की अखरोट के आकार की गोलियां बना लें।
- इन गोलियों को तेल में मध्यम आंच पर तल लें। अगर तेल ठंडा हुआ तो ये फट जायेंगीं। थोड़े बहुत दरार आना ठीक है। ये बाहर से कुरकुरा और अंदर से मुलायम होता है।
- गढ़वाली रोटाना तैयार हैं।
- परोसते वक़्त इसपर थोड़ा सी पिसी चीनी एक छननी की सहायता से छिड़क दें, ये देखने में सुन्दर लगेंगे। आप इसके ऊपर भुने तिल भी डाल सकते हैं।