तिल की तासीर गरम होती है इसलिए जाड़ों के दिनों में तिल खाना काफ़ी अच्छा माना जाता है। इसीलिए आप देखेंगें कि जाड़ों के त्योहारों में अकसर तिल का प्रयोग होता है।हमारे बुज़ुर्गों ने जो परम्पराएं बनाई हैं उनके पीछे काफ़ी अच्छी सोच छुपी है। तिल की बर्फ़ी बनाना तिल के लड्डू से थोड़ा मुश्किल होता है क्यूंकि बर्फी ठीक से जमने के लिए थोड़ा अंदाज़ करना पड़ता है और वह अनुभव से ही आता है लेकिन स्वाद में बर्फ़ी लड्डुओं से ज़्यादा अच्छी लगती है।
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समय | 30 मिनट |
कितने लोगों के लिए | 25 बर्फी के टुकड़े |
कठिनाई | मध्यम |
सामग्री
खोया | 500 ग्राम |
सफ़ेद तिल | 400 ग्राम |
चीनी | 500 ग्राम |
विधि
- तिलों को धीमी आंच पे हल्का हल्का भून लें जब तक वे फूल न जाएं। जब वे फूल जाएं और उनका रंग बदलने लगे तो आंच बंद कर दें एंड तिलों को ठंडा करके उन्हें दरदरा पीस लें।
- खोये को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ कर एक पैन में भून लें जब तक वह पिघल कर एक सार मुलायम नहीं हो जाता। भूनते समय उसे निरंतर चलते रहें वरना वह जल सकता है।
- चीनी को 3 कप पानी मिलाकर तब तक उबालें जब तक कि तीन तार की चाशनी नहीं बन जाती।
- अब एक बड़ी कढ़ाई में खोया, चाशनी और पिसा तिल मिलाकर निरंतर चलाते हुए हलकी आंच पर भूनें।
- धीरे धीरे बर्फ़ी का मिश्रण सिमटने लगेगा, तब आंच बंद कर दें। ये स्टैप बहुत ध्यान रखने वाला होता है। अगर कम भूना तो बर्फ़ी जमेगी नहीं, अगर ज़्यादा भून दिया तो बर्फ़ी कड़ी हो जाएगी। यहाँ थोड़ा अनुभव काम आता है।
- एक इंच गहरी ट्रे में थोड़ा घी लगा लें जिससे बर्फ़ी ज़्यादा चिपके नहीं। अब इसमें बर्फ़ी का मिश्रण डाल कर एक सार फैला लें।
- बर्फ़ी को रात भर सूखने दें।
- बर्फ़ी सूखने पर, अपनी मनचाहे आकार में काट लें और उसका आनंद लें। जाड़ों में तिल की बर्फ़ी एक हफ़्ते तक बाहर रखी जा सकती है।
- अगर बर्फ़ी सख़्त हो गयी है तो उसमें थोड़ा दूध मिलाकर दोबारा पका कर जमा लें। अगर बर्फ़ी मुलायम रह गयी है तो उसे थोड़ा और भून कर जमा लें। उसमें थोड़ा मिल्क पाउडर भी मिला सकते हैं।
- आप चाहें तो बर्फ़ी को जमाते वक़्त उसपर कटे मेवा डालकर हल्का सा दबा सकते हैं।
Summary
Recipe Name
Til Ki Barfi
Author Name
Kusum Jain
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