मुझे आज भी याद है कि गर्मियों के दिनों में मम्मी साबूदाने के पापड़ बनाया करती थीं। आजकल की व्यस्त ज़िन्दगी में कोई साबूदाने के पापड़ न खाना चाहता है क्यूंकि इन्हे तलना पड़ता है और न बनाना चाहता है क्यूंकि बाज़ार में आसानी से मिल जाते हैं। मेरा मानना है कि अगर आप पौष्टिक खाना खाते हैं और रोज़ व्यायाम करते हैं तो कभी कभी घर का तला हुआ खाने में कोई नुकसान नहीं होता और घर में बना खाना बाज़ार के खाने से हमेशा ज़्यादा पौष्टिक होता है। तो आप भी ये पापड़ घर पे बनाएं और पौष्टिक खाना अपने परिवार को खिलाएं।
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समय | 20 मिनट |
कितने लोगों के लिए | 20 छोटे पापड़ |
कठिनाई | आसान |
सामग्री
छोटा साबूदाना | 1 कप |
पानी | 2 कप |
नमक | 3/4 छोटी चम्मच |
जीरा (ऐच्छिक) | 3/4 छोटी चम्मच |
विधि
- साबूदाने को रात भर पानी में भिगो कर रखें और सुबह को पानी छान कर निकाल दें।
- 2 कप पानी को एक भारी तले वाले बर्तन में उबाल लें। अगर बर्तन भारी नहीं हुआ तो साबूदाना तले में चिपक सकता है।
- उबलते हुए पानी में भीगा और निथारा हुआ साबूदाना डाल दें और निरंतर चलाते रहें।
- जब घोल थोड़ा गाढ़ा हो जाये (करीब 5 मिनट में) तो आंच बंद कर दें। साबूदाने के दाने अभी भी दिख रहे होंगे।
- एक साफ़ कपड़ा या प्लास्टिक शीट धूप में बिछा लें और थोड़ा ठंडा करने के बाद साबूदाने का घोल एक करछी से उसपर डालें। करछी से उसे गोल पापड़ के आकार में फैला लें।
- सारे घोल के पापड़ इसी तरह फैला दें।
- जब वो करीब करीब पूरे सूख जाएं तो उन्हें धीरे धीरे उतार कर पलट दें। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो हो सकता है कि वे शीट से बुरी तरह चिपक जाएं।
- एक या दो दिन में वे पूरे सूख जाने चाहियें। सूखने के बाद उन्हें एक डिब्बे में बंद करके रख दें। साबूदाने के पापड़ तैयार हैं।
- जब भी खाने हों तो उन्हें बहुत गरम तेल में तल लें। तलने पर ये फूल के दुगने और बहुत कुरकुरे हो जाते हैं।
कुछ ध्यान रखने योग्य बातें
- पापड़ हमेशा ऐसे दिन बनाएं जब तेज धूप हो।
- पापड़ एक साबूदाने के दाने से ज़्यादा मोटे नहीं होने चाहियें।
Summary
Recipe Name
साबूदाने के पापड़
Author Name
रुचि गर्ग
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